लाल किले पर जब 60 साल पुरानी ‘शाही सवारी’ ने सबका दिल जीत लिया – कहानी सीधे भूटान के महल से राष्ट्रपति भवन तक

Spread the love

नई दिल्ली।

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले का माहौल हमेशा खास होता है—लेकिन इस बार एक अनोखा नज़ारा देखने को मिला। झंडा लहर रहा था, बैंड बज रहे थे, आसमान में तिरंगा उड़ रहा था… और तभी एक काली, चमचमाती, पुरानी लेकिन दमदार कार धीरे-धीरे समारोह स्थल में दाखिल हुई।

लोगों की नजरें मंच से हटकर उसी कार पर टिक गईं। Jeep Wagoneer—1960 के दशक का एक आइकॉनिक मॉडल, जिससे दिल्ली एरिया के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल भवनीश कुमार समारोह में पहुंचे थे।
जैसे ही वे दरवाजा खोलकर उतरे, कार का विंटेज लुक और मस्कुलर कद-काठी भीड़ के बीच चर्चा का विषय बन गया।

कहानी 1965 से शुरू होती है…

यह कोई आम गाड़ी नहीं, बल्कि एक तोहफा है—और वो भी भूटान के राजा जिगमे दोरजी वांगचुक का।
साल 1965 में, जब भारत के राष्ट्रपति थे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, भूटान के राजा भारत दौरे पर आए। भारत-भूटान की दोस्ती की याद में उन्होंने राष्ट्रपति को जीप कंपनी की खास कार—Jeep Wagoneer—भेंट की।
यह गाड़ी सिर्फ लोहे और पुर्जों का मेल नहीं, बल्कि दोनों देशों के रिश्तों की एक चलती-फिरती निशानी बन गई।

राष्ट्रपति भवन से सेना की शान तक

कई सालों तक यह कार राष्ट्रपति भवन के गलियारों में चली, विदेशी मेहमानों को ढोया और परेड में अपनी शान दिखाई।
साल 2000 में इसे भारतीय सेना को सौंप दिया गया, जहां यह दिल्ली एरिया के आर्मी हेडक्वार्टर की सेरेमोनियल गाड़ी बन गई—एक ऐसी सवारी जो सिर्फ खास मौकों पर ही बाहर निकलती है।

Jeep Wagoneer – 29 साल का बेमिसाल सफर

Jeep ने 1963 में इस मॉडल को लॉन्च किया था और इसकी लोकप्रियता इतनी जबरदस्त रही कि कंपनी ने 29 साल तक इसका उत्पादन जारी रखा।
इसके बाद भले ही नए मॉडल आए, लेकिन 2021 में Jeep ने इसके मॉडर्न वर्जन को फिर लॉन्च किया—फिर भी पुराने Wagoneer का रुतबा आज भी कम नहीं हुआ।

आज भी भीड़ में अलग पहचान

इस काली Wagoneer का चौड़ा बॉडी फ्रेम, सजीव ग्रिल, दमदार पहिए और विंटेज इंटीरियर—ये सब मिलकर इसे एक ‘म्यूजियम पीस’ से ज्यादा एक जीवित इतिहास बना देते हैं।
जब यह लाल किले के पास खड़ी होती है, तो लगता है मानो समय खुद ठहर गया हो।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *