“चिकन खाते हैं, फिर कहते हैं पशु प्रेमी” – SC में कुत्तों पर बहस गरमाई

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दिल्ली-एनसीआर से लावारिस कुत्तों को हटाने के मुद्दे पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में जोरदार बहस हुई। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की तीन सदस्यीय पीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अंतरिम रोक की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया।

सुनवाई के दौरान क्या हुआ

सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल दुष्यंत दवे ने कहा कि कुछ लोग चिकन और अंडे खाते हुए भी खुद को पशु प्रेमी बताते हैं, जबकि हर साल लगभग 305 लोगों की मौत कुत्तों के हमलों के बाद रेबीज से होती है, जिनमें ज्यादातर बच्चे होते हैं। उन्होंने साफ किया कि कुत्तों को मारा नहीं जाएगा, केवल अलग किया जाएगा।

कुत्तों के पक्ष में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि बिना शेल्टर, बधियाकरण और उचित व्यवस्था के कुत्तों को उठाने का आदेश गलत है। उन्होंने दावा किया कि 700 कुत्ते पहले ही उठा लिए गए हैं और उनके मारे जाने का खतरा है। वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संसद के आंकड़े पेश करते हुए कहा कि 2022 से अब तक दिल्ली, गोवा और राजस्थान में रेबीज से कोई मौत दर्ज नहीं हुई है।

पृष्ठभूमि

11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ ने आदेश दिया था कि दिल्ली-एनसीआर के सभी इलाकों से आवारा कुत्तों को उठाकर डॉग शेल्टर में रखा जाए और उन्हें सड़कों पर वापस न छोड़ा जाए। इस आदेश के खिलाफ पशु प्रेमियों और विभिन्न संगठनों ने पुनर्विचार की मांग की है।

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