राहत बनाम राजनीति :- ‘मेरी नौकरी चली जाएगी’— बलिया में राहत सामग्री पर बवाल, जाने क्या है पूरा मामला

उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले में बाढ़ राहत वितरण को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। लालगंज क्षेत्र की ग्राम पंचायत मुरारपट्टी में बाढ़ पीड़ितों के लिए भेजी गई तिरपाल की खेप गाँव पहुँचने के कुछ ही मिनटों बाद प्रशासन ने वापस बुला ली। ग्राम प्रधान का आरोप है— यह कार्रवाई उनकी शिकायत का बदला है।
शनिवार को बैरिया तहसील प्रशासन ने राहत सामग्री के रूप में तिरपाल भेजे थे। ग्राम प्रधान मुना राम ई-रिक्शा से इन्हें गाँव पहुँचा ही रहे थे कि क्षेत्रीय लेखपाल का फोन आया— “प्रधान जी, तिरपाल तुरंत लौटा दीजिए, नहीं तो मेरी नौकरी चली जाएगी। यह तहसीलदार का आदेश है।” दबाव में आकर प्रधान ने तिरपाल वापस तहसील भिजवा दिया।
तहसीलदार मनोज राय का कहना है कि मुरारपट्टी पंचायत में 140 परिवारों की सूची बनी थी, लेकिन गलती से 300 तिरपाल भेज दिए गए थे। अतिरिक्त तिरपाल वापस मंगवाए गए हैं।
लेकिन प्रधान मुना राम का दावा है कि कुछ दिन पहले बाढ़ पीड़ितों के लिए पका भोजन रात 9 बजे पहुँचा, जबकि तय समय शाम 7 बजे का था। इसकी शिकायत उन्होंने बाढ़ कंट्रोल रूम, बलिया से की थी। आरोप है कि इसी शिकायत के बाद उनके गाँव का तिरपाल वापस बुला लिया गया।
प्रधान का कहना है— “हमारे गाँव में 300 लोग तिरपाल के हकदार हैं, विभाग चाहे तो खुद वितरण करे, हमें कोई आपत्ति नहीं।”
यह मामला अब स्थानीय नाराज़गी से निकलकर ‘राहत बनाम राजनीति’ की बहस में बदल गया है। सवाल उठ रहे हैं— क्या बाढ़ पीड़ितों की मदद प्रशासनिक चूक का शिकार हुई या यह सच में बदले की कार्रवाई है?