“बाढ़ में नहीं डूबा प्यार: बलिया में नाव पर निकली बारात, गंगा की लहरों ने गाया मंगल गीत”

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उत्तरप्रदेश, बलिया।
जहां एक तरफ उत्तर भारत में गंगा और उसकी सहायक नदियों की बाढ़ ने कहर बरपाया है, वहीं उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से मानव साहस और परंपरा की एक दिल छू लेने वाली कहानी सामने आई है। बाढ़ से जलमग्न सड़कों और डूबे हुए गांवों के बीच, एक अनोखी बारात नाव पर सवार होकर दुल्हन के गांव पहुंची

बलिया के लाल के डेरा से बयासी गांव तक, बारात को नाव के जरिए ले जाया गया। चारों ओर बाढ़ का पानी फैला हुआ था, लेकिन दूल्हा-दुल्हन के परिवारों ने हिम्मत नहीं हारी। तय तारीख पर शादी होनी ही थी — और हुई भी, पूरे उत्साह और परंपरा के साथ।

इस अनोखी बारात का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। लोग इसे “बाढ़ में उम्मीद की नाव” बता रहे हैं। ना बैंड था, ना बाजा, लेकिन नाविकों की लय और गंगा की लहरों की ताल ने माहौल को संगीतमय बना दिया।

बारात में शामिल लोग नाव पर बैठकर एक-दूसरे से मजाक करते, मुस्कुराते और बारिश का आनंद लेते नजर आए। दूल्हे के सिर की टोपी पर पॉलिथीन लपेटी गई थी ताकि ‘सेहरा’ बारिश से भीग न जाए। इस दृश्य ने यह साबित कर दिया कि भारतीय संस्कृति में शादी केवल रस्म नहीं, बल्कि हिम्मत, प्रेम और एकजुटता का प्रतीक भी है।

दूल्हे के पिता कमलेश राम ने कहा, “गरीब की हालत में कुछ भी संभव है, लेकिन हम हार मानने वालों में नहीं हैं।” उनके अनुसार, यह बारात उनके समधी वीरेंद्र राम के गांव जा रही थी, और परिस्थिति कैसी भी हो, रिश्ता निभाना जरूरी था।

जहां एक ओर देश के कई हिस्सों में बाढ़ त्रासदी का रूप ले चुकी है, वहीं इस शादी ने यह दिखा दिया कि भारतीय समाज विपरीत हालात में भी अपने रिश्तों और परंपराओं को निभाने से पीछे नहीं हटता।

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