इतिहास से सीखने की जगह राजनीति में उलझा बलिया बलिदान दिवस, आजादी के पर्व पर भी दलगत राजनीति, बलिया की परंपरा को ठेस

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‘बागी बलिया’ के नाम से देश के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज बलिया जनपद ने 19 अगस्त 1942 को ही खुद को ब्रिटिश शासन से मुक्त घोषित कर दिया था। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चित्तूपांडेय के नेतृत्व में हजारों लोगों ने जिला कारागार से आज़ाद होकर कलेक्ट्रेट पर तिरंगा फहराया था। तभी से हर साल 19 अगस्त को बलिया बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। परंपरा रही है कि यह दिन सर्वदलीय आयोजन के रूप में सभी दल मिलकर मनाते हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह ऐतिहासिक पर्व राजनीतिक खींचतान का शिकार होता जा रहा है।

इस वर्ष भी जिला कारागार पर आयोजित बलिदान दिवस का स्वर विवादित रहा। ज्ञात हो कि जिला कारागार को मेडिकल कॉलेज में बदलने की तैयारी चल रही है और इसी कारण सभी बंदियों को अन्य जनपदों की जेलों में शिफ्ट कर दिया गया है। इसके बावजूद बलिदान दिवस का आयोजन यहीं किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत कांग्रेस की अगुवाई में हुई। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय तथा जिला अध्यक्ष उमाशंकर पाठक के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने जेल का फाटक खुलवाकर नगर भ्रमण किया और विभूतियों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर नमन किया। अजय राय ने कहा, “हमने बलिया के बलिदानियों को याद किया, उन्हें नमन किया और समय से कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।”

कांग्रेस के बाद, भारतीय जनता पार्टी का काफिला जिला कारागार पहुंचा। इस दौरान प्रभारी मंत्री दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’, परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, अल्पसंख्यक राज्य मंत्री दानिश आज़ाद अंसारी, विधायक केतकी सिंह समेत तमाम भाजपा नेता मौजूद रहे। जेल का फाटक दूसरी बार खोला गया और भाजपा नेताओं ने भी नगर भ्रमण करते हुए स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी।

जब मीडिया ने दो बार जेल का फाटक खोले जाने पर सवाल किया तो परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा कि “जेल में दो फाटक हैं।” वहीं विधायक केतकी सिंह ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग कार्यक्रम को बिगाड़ने की नीयत से आए थे। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “ऐसे लोग आज भी अंग्रेजों और मुगलों के प्रति प्रेम से ग्रसित हैं। हमारे भारत में कहीं भी गुलामी की मानसिकता नहीं है।”

इस तरह सर्वदलीय आयोजन की परंपरा टूटती नज़र आई और बलिया बलिदान दिवस, जिसकी पहचान आज़ादी के अद्वितीय संग्राम से जुड़ी है, राजनीतिक बयानबाज़ी और खींचतान की भेंट चढ़ गया।

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