जाली दस्तावेजों से नौकरी करने वाले शिक्षक को हाईकोर्ट से झटका, कोर्ट ने बर्खास्तगी को सही ठहराया

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बलिया। जाली दस्तावेजों के आधार पर नौकरी करने वाले सहायक शिक्षक को इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने बलिया के बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) के आदेश को बरकरार रखते हुए शिक्षक की बर्खास्तगी को सही ठहराया है।
न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की पीठ ने याची कमलेश कुमार निरंकारी की याचिका खारिज करते हुए कहा कि धोखाधड़ी से प्राप्त नियुक्ति नियुक्ति की तिथि से ही शून्य मानी जाएगी। ऐसे व्यक्ति को न तो वेतन और अन्य परिलाभों का दावा करने का अधिकार है और न ही वह नौकरी पर बने रहने का हकदार है। कोर्ट ने साफ किया कि ऐसे मामलों में प्राप्त वेतन की वसूली भी की जाएगी।
मामला क्या है?
कमलेश कुमार निरंकारी बलिया जिले के एक प्राथमिक विद्यालय में सहायक शिक्षक के पद पर कार्यरत था। वर्ष 2010 में उसकी नियुक्ति हुई थी। शिकायत पर हुई जांच में सामने आया कि उसने जाली शैक्षिक प्रमाणपत्रों और मार्कशीट के आधार पर नौकरी हासिल की थी। जांच रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि उसने एक अन्य व्यक्ति के दस्तावेजों का इस्तेमाल किया। पुलिस सत्यापन में भी पुष्टि हुई कि दिए गए पते पर उस नाम का कोई व्यक्ति नहीं रहता है।
इसके बाद बीएसए ने 6 अक्टूबर 2022 को उसकी नियुक्ति रद्द कर दी और नौकरी के दौरान मिले वेतन की वसूली का आदेश भी पारित किया। इसी आदेश को निरंकारी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
पक्षकारों की दलीलें
याची की ओर से कहा गया कि उसने किसी तरह की जालसाजी नहीं की है। दस्तावेजों में नाम की विसंगति संबंधित प्राधिकरणों की गलती से हुई थी और बिना उचित सुनवाई के उसकी सेवा समाप्त कर दी गई, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है।
वहीं, प्रतिवादी की ओर से दलील दी गई कि याची बार-बार मौके देने के बावजूद अपने मूल दस्तावेज प्रस्तुत करने में विफल रहा। उसके द्वारा दिए गए प्रमाणपत्र और पते पर गंभीर विसंगतियां थीं, जो धोखाधड़ी को साबित करती हैं।
कोर्ट का फैसला
दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि गलत दस्तावेजों से प्राप्त नौकरी शुरू से ही अमान्य होती है। नाम में गंभीर विसंगतियां और मूल दस्तावेज न प्रस्तुत कर पाना धोखाधड़ी का प्रमाण है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णयों का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने बीएसए के आदेश को सही ठहराया और याचिका खारिज कर दी।
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